कैसे कुछ एहसासों को शब्दों कि बेड़ियां पहनाउकिसी भी छंद मे क्यों ना ढालुहर बार कुछ बाकी रह जाता है.. - Reet
कैसे कुछ एहसासों को शब्दों कि बेड़ियां पहनाउकिसी भी छंद मे क्यों ना ढालुहर बार कुछ बाकी रह जाता है..
- Reet