Rishu Porwal   (Rishu Porwal)
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Joined 24 May 2017


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Joined 24 May 2017
10 JUN 2022 AT 1:25

हाल ए अंदाज़ बदला देख, सबने पूछा बात क्या है...???
हम मुस्कुराए, आंखो से इशारों में कहा कि इश्क है..।।।

मिजाज़ इतना खुश मिजाज़ है, लोग वजह पूछते है..???
हमने, दबे छुपे शब्दों के सहारे कहा कि इश्क है...।।।

पूछा है ज़माने ने, कि कब तक हो रहोगे यूं बेफिक्र..???
तेरा नाम लिया मन में, ओर कहा जब तक इश्क है...।।।

यूं तो छुपा कर रखा है, कहीं उजागर नहीं किया...???
मगर चेहरे से दिखता है, कि दिल में पक्का इश्क है...।।।

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1 JAN 2022 AT 1:09

दिन गुजरते नहीं अब रात का क्या होगा
इश्क ए अंजाम है मालूम कि क्या होगा

वो समझे थे कि हम बनेंगे मर्ज ए दवा
भला बेदर्दो के बीच रहने से क्या होगा

उन्हें देखा है उस हाल में रिशु ने यूं
रात बाकी है अभी रात को क्या होगा

ये दिल भटक गया रास्तों में कहीं
जो मंज़िल तक न पहुंचे तो क्या होगा

इक ख्वाहिश मैं रखता गया हर दफा
बस देखूं जीभर नहीं तो मेरा क्या होगा

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14 DEC 2021 AT 1:25

इश्क के ज़ख्म की परवाह कौन करे
हम जैसे आशिकों की परवाह कौन करे

दर पे खड़े रहे बेगैरत ,फिर लौट आए
उनके बाहर आने की उम्मीद अब कौन करे

ये दिल वो तोड़ चुका कइयों बार
अबकी, ये दिल देने की हिम्मत कौन करे

वो रहते है अपने ख्यालों में आराम से
उन्हें तकलीफ देने की, हिमाकत कौन करे

है दर्द ही दर्द सच्चे इश्क में रिशु
बता इन सितमगरो से अब इश्क कौन करे

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9 DEC 2021 AT 2:54

वक्त के करीब है कि वक्त से दूर है हम
हर वक्त अब इसी ख्याल में है हम

कदम मंज़िल के करीब कहीं खो गए
एक वक्त तक मंज़िल पे थे हम

ज़ुल्म ओ सितम के बीच ज़िंदा रहे
मरने वाले थे, दुआ से बच गए हम

बदहाली में भी गुजर बसर होता रहा
इस अमीरी में भी सुखी नहीं हम

तेरे दर्द सीने से लगाए हैं ज़िन्दगी
देख ज़रा खुश है, ज़िंदा है हम

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8 DEC 2021 AT 2:19


ज़िन्दगी में मरो हरा दफा, खुश रहो मगर
चंद आंसू बहने दो दिल से, खुश रहो मगर

उसकी हंसी छीनने लगे जब बातो से
इश्क ए नग्मा रोक दो ज़रा, खुश रहो मगर

वो पेड़ की शाखो पे लगी पत्ती सी है
फलों का टूटना क्या जाने, खुश रहो मगर

रात परेशान रहा चांद, तेरे छिप जाने से
वो सितमगर दर्द क्या जाने, खुश रहो मगर

फिलहाल मसला उलझ गया लड़ने से
लफ़्ज़ों में मैंने यही कहा, तुम खुश रहो मगर

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21 NOV 2021 AT 2:31

आसमां से इश्क कर बैठे अंधेरी रात में
अब हम ये क्या कर बैठे अंधेरी रात मे

वो चांद थे सो चमकते रहे रात भर
हम उन्हीं को देखते रहे अंधेरी रात में

वो रात तो एक उम्र से बड़ी निकली
जब वो मिलने में आए अंधेरी रात में

रातों हीं रात अपने बनते चले गए
फिर वो खो गए कहीं अंधेरी रात में

किस्मत में लकीरें खाली ही ठीक है
सब कुछ खो जाता है अंधेरी रात में

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20 NOV 2021 AT 1:54

चौराहे के रास्तों को पहचान ना पाए
वो साथ रहे, मगर साथी बन ना पाए

परिंदों की तरह उड़ना था जिन्हें
वो कदमों के सहारे ही चल ना पाए

अब अंधेरे से उम्मीद है, उजाले की
खुद जले, मगर ज़रा उजाला ना पाए

इश्क ले बैठेगा कुर्बानी तमाम यहां
आशिकों को हम कभी खुश ना पाए

मन माफिक ही जिए ज़िन्दगी, मगर
हमे जों मिला हम वो संभाल ना पाए

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19 NOV 2021 AT 3:16

ये कहानी में क्या चल रहा है जानी
ज़माने के हिसाब से सब गलत है जानी

वो जब चाहे आए, वो जब चाहे जाए
क्या कहे, वो मर्ज़ी के मालिक है जानी

अदाओं के जाल से गुमराह कर रहे
यूं तो, हमारे तुम्हारे रास्ते साफ़ है जानी

आदत बनके हमारी नींद ले गए वो,
जो हर रात चैन ओ सुकुं से सोते है जानी

इश्क की बात करते है कच्चे दिल वाले
जो अंजाम ए इश्क से , बेखबर है जानी

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8 NOV 2021 AT 0:58

वो ना आने का, कुछ इशारा नहीं देते
हम कुछ पूछते नहीं, तो बहाना भी नहीं देते

वो करते रहे, ज़ुल्मो सितम हर बार
हम उन्हें तकलीफ का कोई मौका नहीं देते

हैरान है अब, उनके इस रवैए से रिशु
उनके लिहाज से, जैसे हम वक्त नहीं देते

नज़रों में उनकी तुम गिरे हुए ही सही
ये ज़माना दे रहा इश्क, तुम कुछ नहीं देते

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6 NOV 2021 AT 1:37

आज बहारो के बीच यूं छा गई तुम
ज़रा खिड़की खोली, और आ गई तुम

मौसमी बीमारी की तरह फ़ैल रही हो
यूं बीमार कर, खुद को दवा बना गई तुम

लापता है कई ख्वाब हिम्मत भरे
यूं मुस्कराई की सारा जहां भुला गई तुम

उन्हें फिक्र नहीं किसी की ज़माने में
इंतज़ार में रखा हमे, फिर रुला गई तुम

अहसास ऐसा था की जता ही ना पाए
हम कुछ कहते मगर क्या–२ सुना गई तुम

मुकद्दर के फैसले होते है आखिर में
सफ़र के बीच, मंज़िलो को दिखा गई तुम

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