Rishu Anand Mridula   (ऋषु आनन्द मृदुला)
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Joined 22 May 2018


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25 JAN AT 19:07

राम आए हैं आए हैं राम आए हैं।।

(पूरा भजन कैप्शन में पढ़ें)

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4 OCT 2023 AT 10:28

अजीब चीज़ है ये दुनिया, हर बात पर देती है ताना,
घर में रुके हो तो निठल्ला, निकल पड़ो तो आवारा।

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2 APR 2022 AT 2:37

कविता जो लिखी नहीं अब तक,
क्यूँकि वो मिली नहीं अब तक।

उसका चित्रण कैसे कर पाऊँगा,
खिड़की वो खुली नहीं अब तक।

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1 APR 2022 AT 0:25

मैं यहाँ-वहाँ नग्में-तराने ढूँढता रहता हूँ,
नए-पुराने कुछ अफ़्साने ढूँढता रहता हूँ।

मैं भी हूँ भीतर से बिल्कुल तुम्हारे जैसा,
ना सोने के नए बहाने ढूँढता रहता हूँ।

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24 JAN 2022 AT 21:04

दुआ है जहान के अपनेपन में साद रहूँ,
नई पौध के लिए मिट्टी-पानी-खाद रहूँ।

हक़ीक़त जो जैसी है सबके सामने है,
कम-से-कम ख़्वाब में तो आबाद रहूँ।

सामने हूँ तो सब की नज़र मुझ पर है,
काश! किसी के मन में जाने के बाद रहूँ।

अकेलेपन में सब को याद आता हूँ मैं,
कोई हो जिसको भीड़ में भी याद रहूँ।

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19 DEC 2021 AT 21:19

कुछ इस तरह हमारे इश्क़ का शबाब होना था,
मुझको सिर्फ़ तुम्हारा पसंदीदा ख़्वाब होना था।

हमारे सफ़र में हमसफ़र हैं जाने कितने सवाल,
दोनों को एक-दूसरे का सटीक जवाब होना था।

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28 NOV 2021 AT 13:07

आज केवल देश के किसान नहीं जीते हैं,
पूरा देश जीता है, देश के सर्वजन जीते हैं।

जीत अभी बाक़ी है, जश्न अभी अधूरा है,
सब को ऐसा लगना बाक़ी है, सब जीते हैं।

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18 OCT 2021 AT 5:47

उलझी उलझनों से सुलझने की उम्मीद है,
इस बार भी मेघ से बरसने की उम्मीद है।

जनमों से समुन्दर प्यासा है नदी के बिना,
इस बार भी नदी से मिलने की उम्मीद है।

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24 SEP 2021 AT 23:45

बहुत दिन हो गए मेरे चाँद को मुस्कुराए हुए,
अरसा हुआ मेरा तेरी गली में आए-जाए हुए।

मेरे चाँद पर दुनियाभर की पहरेदारी रहती है,
अरसा हुआ बादल का पर्दा बनकर छाए हुए।

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23 JUL 2021 AT 16:23

आप के लिए चिट्ठी

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