Rishabh Singh Rajput   (कारवाँ-ए-लफ्ज़)
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Joined 25 September 2017


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Joined 25 September 2017
19 SEP 2019 AT 10:56

भागते हुए लोगों में,
घर बसाया नहीं करते,

जो गुमराह है खुद अपनी ज़िन्दगी में,
उन्हें तुम्हारे क़ीमती जज़्बात बया नहीं किया करते!

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18 JUN 2019 AT 11:33

बादल गरजा पर बरसात नहीं आई,
दिल धड़का पर आवाज़ नहीं आई,

बिना हिचकियाँ ही गुज़र गये कई दिन
क्या एक पल भी तुम्हे मेरी याद नहीं आई !

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9 JUN 2019 AT 11:40

लाखो करते हैं सौदा इश्क़ के बाजार में,
रकम सबकी वसूल नहीं होती,

हज़ारों हाथ आसमाँ की तरफ उठते हैं
दुआएं सबकी कबूल नहीं होती !

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5 JUN 2019 AT 11:20

यूँ बेवजह घबराना और झटपटाना छोड़ दे,
ये दुनिया बेरंग है तू इसे रंग लगाना छोड़ दे,

जिसमे नाम ही तेरा नहीं तू वो फसाना छोड़ दे,
गुजरी बातों को शायरी बनाना छोड़ दे!

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1 JUN 2019 AT 11:33

इश्क़ मुक्मल हो जाता तो क्या चाहते,
वो जो अगर मिल जाता तो क्या चाहते,

आपका मिलना तो नामुमकिन था इस जन्म में,
हम मौत नहीं चाहते तो क्या चाहते!

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28 MAY 2019 AT 11:33

वादें बदलते नहीं कभी बदलते हालातों से,
जुगनू अकेला लड़ता है काली सियाह रातों से,

कुछ आदतें ताउम्र मुझसे सुधारी नहीं गई,
मैं अब भी बहल जाता हूँ उसकी झूठी बातों से!

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25 MAY 2019 AT 11:44

चाहा है उसे जिसे हम पा न सके,
ख़यालो में किसी और को ला ना सकें।

उसे देख कर आँशु तो पोछ लिए ,
किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके।

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22 MAY 2019 AT 11:34

उसके प्यार पे भरोसा कर लिया,
अपनी मौत का सौदा कर लिया,

चाहत मौत करने पैसे लुटा दिए,
लगता है कुछ ज़्यादा कर लिया!

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19 MAY 2019 AT 11:33

मोहब्बत है रूठना मनाना चलता रहेगा,
ग़म ख़ुशी का आना जाना चलता रहेगा,

तुम कभी मुझसे भरी दोपहर में मिलो ना,
घर पर बहाना नया पुराना चलता रहेगा!

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15 MAY 2019 AT 11:35

भले ही किसी गैर की जागीर थी वो
पर मेरे ख़्वाबो की भी तस्वीर थी वो

मुझे मिलती भी तो कैसे मिलती,
किसी और के हिस्से की तकदीर थी वो!

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