18 JAN 2018 AT 22:48

कभी कभी तो लगता हैं
कि
पेन होता मैं तुम्हारा
इसी बहाने तुम अपने
चोकोर पेन होल्डर से निकालकर मुझे,
अपनी उंगलियों में जकड़ती तो सही
और जब याद करना होता तुम्हें कुछ,
बेध्यान ही सही
अपने होंठों तक ले जाती,
तुमसे मिलना तो होता,
और जब कभी तुम्हें जल्दी में
कोई किताब उठानी होती,
तुम वैसे ही अपने बालों को पीछे कर
उन्हें बाँधतें हुए
अपने बालों में मुझ को लगाती,
और इस तरह ही सही
हम साथ रह लेते...!

- ऋषभ शाह