25 APR 2020 AT 15:56

कहीं दूर के लगते थे
कुछ किरणों में सिमटकर
बस यूँहीं हासिल हुएं
कुछ मंजिलें वैसे
कहीं ख्वाब से लगते थे
कुछ कंकडों में मिलकर
नजदीक मालूम हुएं

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