कहीं दूर के लगते थेकुछ किरणों में सिमटकरबस यूँहीं हासिल हुएंकुछ मंजिलें वैसेकहीं ख्वाब से लगते थेकुछ कंकडों में मिलकरनजदीक मालूम हुएं - ©myjoopress
कहीं दूर के लगते थेकुछ किरणों में सिमटकरबस यूँहीं हासिल हुएंकुछ मंजिलें वैसेकहीं ख्वाब से लगते थेकुछ कंकडों में मिलकरनजदीक मालूम हुएं
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