मैं कह सकता था तुम्हारी आँखे झील के जैसी है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
मैं कह सकता था तुम्हारे होंठ गुलाब के पंखुडियो के जैसे है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
मैं कह सकता था तुम्हारे बाल रेशम जैसे है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
मैं कह सकता था तुम्हारी चाल हिरण जैसी है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
मैं कह सकता था तुम्हारी बोली कोयल जैसी है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
मैं कह सकता था तुम्हारा रंग केसरिया दुध जैसा है
पर मैं झूठ क्यों कहुँ
क्युँकि न तो तुम कोई जन्नत की परी हो
न में कहीं का राजकुमार
पर तुम जैसी भी हो बेहतर हो
और मेरे साथ हो तो बेहतरीन हो 😍😁
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