जिस मोहब्बत के सच के खातिर सालों जिंदगी गुज़ारी थी मैंने ..
अब उसी मोहब्बत से एक बार मिल पाने की चाह में आँखों ने पानी ओढ़ लिया है ...— % &-
ख़ुशनसीब सी लगने लगा है मौत का इंतज़ार भी ...
जो वक़्त तेरी बाहों और तेरे मुझे याद करने में बीता ..
मेरी जिंदगी बस उतनी ही थी ..— % &-
मेरी मोहब्बत भी क्या ही रंग लायी है ..
मरने की रोज दुआ कर रहा हुँ, और जिंदगी हर एक दिन उधार दिए जा रही है ..-
मेरी मोहब्बत भी क्या ही रंग लायी है ..
मरने की रोज दुआ कर रहा हुँ, और जिंदगी हर एक दिन उधार दिए जा रही है ..-
कुछ दिन से इस तरह, तन्हा है मन मेरा ..
लगता है किसी अपने ने मुझे, ज़िंदा ही दफना दिया है ...-
सब खुशियां जोड़ी है , मैंने तेरे से मिली मुझको ...
तेरे मेरे से दूर जाने का गम, अब भी कही ज़्यादा है ..-
फिर उस गली में वापस एक बार जरूर जाऊँगा मैं..
क्या करुँ ,तुम्हे इस बार साथ लेके ही आऊंगा मैं ...-
कितनी मोहब्बत थी तुमसे, पर अधूरी रह गयी ...
इतना कुछ दिया तुमको, पर पता नहीं कहा दूरी रह गयी ...-
कुछ न रह सका मेरा, वीरानियाँ तो रह गयी..
तुम तो चल दिए , मेरी अधूरी कहानियाँ और बरबादियाँ तो रह गयी ...-
मोहब्बत थी उससे मुझे, ये तो उसे पता था पहले भी ...
बस धोखा तब देना शुरू किया, जब समझ गयी वो की मोहब्बत बेइंतहां है मेरी ...-