12 APR 2018 AT 18:45

मेरा यादगार सफ़र!!
कितना यादगार होता है सफर, होता स्फूर्तिदायक जब मन हो नीरस
कितना यादगार था वो बीता सफर, कुछ ऐसा रस सा गया वो भर
अश्रुपूरित मुखपर मानो आई मुस्कान, जैसेे कुछ पल का मिला जीवनदान
अंतर से निशा गयी और भोर भई, कोमल कलियों से खिले पुष्पदल कई
नए नए भांति भांति लोग मिले, यादों की चादर में पलछिन से सिले
रातें भी सोने लगतीं बातें सुनसुनकर, दिन तो उड़ने से लगते कबूतर बनकर
क्या कहूँ बस वहीं रमने का दिल था, आराम और तसल्ली का हर पल था
बेशक बहुत दौड़भाग थी पर, चैन ओ अमन का था वो सफर
थी वहाँ बहुत फ़िकर फिर भी, इस तरह समय रफ्तार थमी थी
बस इक ठंडी छाव सा आता है, गर्म जीवन में कोई भी सफर मेरे लिए
आह! पलभर में बीत जाता है, ढेर सारी यादोँ के मोती दिए
मेरे जिंदगी के सफर के किनारों पर, रंग भरके आशाओं के आसमानों पर
फिर वही रेल से दौड़ते मेरे दिन होंगे, फिर वही अंधियारी सी शांत रातें
दौड़ते हुए दिन बोलने सुनने को दीवारें, वक्त की रस्साकस्सी हम बेचारे
पर ये भी एक अलग ज़िन्दगानी है, हर एक आम की कहानी है
न जाने किस मुकाम की तैयारी है, बस चल रहे हैं बिना शिकायत के
ऐसे हम हर बार मीलों सफर को जाते हैं, बेबाक़ यादों को सहेजकर सिरहाने रख लाते हैं
और इस आसान सी मुश्किल जिंदगी मे, ऐसे सफर एक नया सा रंग भर जाते हैं
जाता कोई न कोई वादा सा कर, कितना यादगार होता है सफर

- © Renu Rathore