21 JUL 2017 AT 0:12

आज पढ़ लिया कुछ पीले पीले पन्नों को।
अजीब अहसास, फिर वही खालीपन
वही उदासी मन को घेरे है।तुम कब मेरे
हुए वो तो मैं ही बस भागती रही भागती रही।मुझे अब तुम्हारा इन्तजार नहीं रहता।तुम्हारी चाहत ने बड़ा साथ निभाया तुमसे कहीं ज्यादा, हाल तो ये है
अपनी उदास शामों को अपनी ढलती सी उम्र को
आज भी तुमसे ही सजाती हूँ, यादों को पास बुलाती हूँ।
हाँ कुछ आंसू भी यूँ ही चले आते हैं बिन बुलाए
मेहमान की तरह।आज मुझे तुम्हारी पहली छुअन का अहसास हुआ.... उन पीले पन्नों ने बताया कि एक अरसा हो गया तुमको देखे हुए.........................पुनश्च।।।।।

- रेणु