Renu k.   (SoulSearcher)
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Joined 10 August 2017


Joined 10 August 2017
15 JUL 2021 AT 6:56

मरती क्यूँ नहीं है रे साली !
आज इसको मेरे घर से निकालो नहीं तो जान से मार देंगे इसको !

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10 JUN 2021 AT 17:53

There's a thin line between
Compromise, Adjustment & Love .
Where most often the later destroy everything in the face of the former two!

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5 JUN 2021 AT 18:22

क्या इतने ही बे-गै़रत थे तुम,
कि खुद की ना-कामयाबी के मलाल में मेरा घर भी उजाड डाला ?

ये कौन सा खोखला रिश्ता है बताओ हमें भी,
धड़ से अलग हमें करते हो ,
और ज़ख्म से पिल-पिला तुम उठते हो ?

ये कैसी बे-तुकी बात है देखो,
दिन में हाथें मरोड़ते हो ,
और रातें तुम्हारी सुहानी हो जाती ..

कुछ तो बात ज़रुर है ,
यूँ ही नहीं तूममें ईतना गुरूर है ..
ना-मर्द हो ?
या मर्दानगी जताते हो?

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13 MAY 2021 AT 23:35

सीता भी बनना ज़रूरी , और वक्त पर दुर्गा भी !!
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तुम राम तो कतई नहीं ,
पर चल तो रहा घोर कलियुगहै !!

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10 MAY 2021 AT 6:12

समुद्र मंथन चल रहा । बस इस बार यह तय नहीं अच्छे लोग जाएंगे या राक्षस ! हमारे लोग .. या हम खु़द।
समय कठिन है । बहूत कठिन । पर प्रथना करते हैं न । उनके लिए जिनके पास आब भी मोहलत है । और उनके लिए भी जिन्होने अपना शरीर छोड़ दिया है । बहूत दर्द में गए हैं । बहूत तकलीफ़ रही होगी ..उन्हें भी ।
आगे का सफ़र अच्छा हो उनका । शांती मिले उन्हें भी । इस जन्म की कलेश आगे न ले कर जाएं । जो हुआ हो गया । ये जन्मों जन्म के दोहराए जाने वाले चक्रकाल में , हम उनकी शांती की कामना कर सकते हैं बस । ताकी आगे जा कर और छल -कपट दुखी़ लोग न आएं । घोर कलियुग ही है न ये तो ! और क्या हो सकता ?!

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10 MAY 2021 AT 4:10

There are lot of good people,
If you've done good to people .
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Keep ur karma clean.
It all comes back in ten folds.
Good , bad eveything !!

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9 MAY 2021 AT 9:11

कीचड़ से ,
कमल की तरह निकल जाना ही सफ़लता है ।
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तुम शुद्ध थे ,
अनछुए रह जाना ही सफ़लता है ।

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9 MAY 2021 AT 4:38

वो ईंतेजा़र ही घडी़ भी कैसी होती ,
आप जानते हो हर चीज़ का एक वक्त होता ,
वो अपने समयपर होगी..
कितनाभी झंक-झोरोगे , खु़द को ,
कुछ नहीं होगा ,
बस तुम ही टूटोगे.. बिखरोगे ..
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ये 'वक्त ' बहूत कुछ सिखाता मेरी जान !!

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8 MAY 2021 AT 21:55

कहती हो , बेटी जैसी हो हमारी ,
तो ममता के आगे ,
क्यूँ दिख नहीं पाता ,
दर्द मेरा भी ?
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आखि़र तुम एक 'माँ' तो बाद में ,
'औरत' थी न पहले ?

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7 MAY 2021 AT 22:05

WE STOP TALKING.
That's where the problem begins. In this time of difficulty , we cannot be with our near and dear ones. Even during a major mishap. We can only connect to them. Let's not stop talking in awkwardness or sadness or anxiety or fear . Let's connect to each other to heal each other. All we've got today , is each other. Time's unpredicatble.Let's do what we can .

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