𝐑𝐄𝐄𝐖𝐀𝐀𝐘𝐀𝐓 | रिवायत   (©️reewaayat)
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Joined 24 June 2017


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वही है वो जिसकी तलाश है मुझे
ढूँढती रहती जैसे कोई आवाज़ है मुझे

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तन्हाई फिरसे वही बात कह रही है
ये रात अकेलापन कबसे सह रही है

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इक सिगरेट जलाई और बुझा दो मैंने
अपने दिल की हर बात बता दी मैंने

जिस भी चीज़ से उसकी याद जुड़ी थी
अगले दिन हर चीज़ घर से हटा दी मैंने

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वो छिप रहा है इस क़दर मुझसे
मानो ख़ुदा है भी और नहीं भी

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सोचा था एस डगर से थोड़े नज़दीक होगे तुम
क्या ख़बर थी वो रास्ता तुम तक नहीं जाता।

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तलाशिए खुद को कहाँ खोया है
कोई मंज़िल पर आके भी खोया है

मत जाओ उस इंसा के क़रीब यारों
जो हर बखत हँसता और कम रोया है

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फ़िक्र है तभी,
तेरा ज़िक्र है!

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उनसे हमारी मुलाक़ात होनी है
अधूरी थी वो पूरी बात होनी है

हर इक लम्हे का हिसाब लेना है
दिन गुजरे या फिर रात होनी है

वो कहतें हैं ख़ुद को बहुत शरीफ़
इक शरीफ़ज़ादे से मुलाक़ात होनी है

रहे जहां में वो जहाँ भी जाकर
सबकी यादों में हमारी याद होनी है

नजाने कितने भी दूर हो अपनों से ‘रीत’
दिल में अनकही छिपी फ़रियाद होनी है

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किसको दे के जाओगे ज़िंदगी भर की कमाई
दवा दारू दौलत मोहब्बत पढ़ाई लिखाई?

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ये मुझे किस चीज़ की तलाश है
क्या मिला था जिसे खो दिया मैंने
वैसे तो ज़रूरत की हर चीज़ भी है
नजाने किस बात पर रो दिया मैंने

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