आइने को भी अब याद नही चेहरा मेरा।।अंधेरो मे सजी हर शाम की, महक हूँ मैं। - रूह - Ĺőšţ ❤§öüľ 👑
आइने को भी अब याद नही चेहरा मेरा।।अंधेरो मे सजी हर शाम की, महक हूँ मैं।
- रूह - Ĺőšţ ❤§öüľ 👑