"माँ"
इश्क़ को इश्क़ में मगरूर देखा है...
मैने जिस्म ओर रूह को चुर देखा है...
मुझे सब से ज्यादा मुहब्बत है मेरी माँ से...
उसकी हंसी में मेरे होने का गुरुर देखा है...
तुम बेवजह ही ढूंढते रहे जमाने मे खुदा...
मैंने खुदा नही देखा माँ को जरूर देखा है...
- रवि शर्मा 'वीर'