7 DEC 2017 AT 15:00

कितना नींद हराम किया (कविता)
कब कहां कितना उसने आराम किया था
हिसाब नहीं कर पाओगे
जीतने वाले ने कितना नींद हराम किया था!
ऐसा नही कि
सोया नही रोया नही
पर जीत के लिए
कई रातों को दिन किया था
हिसाब नहीं कर पाओगे
जीतने वाले ने कितना नींद हराम किया था!
चलता रहा दम तोड़
मोह माया की गठरी छोड़
हाथ मिला बढ़ता रहता था
कभी बेवजह ना रात किया था
हिसाब नहीं कर पाओगे
जीतने वाले ने कितना नींद हराम किया था!
-रवि कुमार गुप्ता

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