मेरा हाल कैसा है
पूछने वाले पे निर्भर करता है!-
Gumshuda
Gumnaan
Bewajah
Badnaam
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teri.meri stories
आदत तुम्हारी कुछ यूं लगा बैठा हूँ
तन्हा हो के भी चाय दो बना बैठा हूँ-
वो चाँद जिसे मैं सिर्फ अपना कहता था
उसकी चांदनी सब पर बराबर गिरती थी-
वो जिसकी वजह से
ये ज़िन्दगी तबाह हो रही है
उसके ज़िक्र पे महफ़िल में
वाह वाह हो रही है
-
थक चुके हैं गैरों की गिनती में आते आते
कुछ अपनो को अब थोड़ा अपनापन चाहिए-
गुस्सा बोल रहा था कि अब पलटना नही है
पर मोहब्बत बोल पड़ी लौट जाने को-
पहले जब बीमार पड़ते थे
तो पराये भी दूर से पूछने आते थे
आज जब बीमार पड़ते हैं
तो अपने भी दूर चले जाते हैं-