बचपन की एक ऐसी चीज़ जो, न जाने कहाँ लुप्त हो गई हैगालों पे पडते चाँटों की किलकारियाँ, न जाने कहाँ सुप्त हो गई हैं - ravi_the_kavi
बचपन की एक ऐसी चीज़ जो, न जाने कहाँ लुप्त हो गई हैगालों पे पडते चाँटों की किलकारियाँ, न जाने कहाँ सुप्त हो गई हैं
- ravi_the_kavi