किसी बसंत की तरह मत आना जीवन में, कि लौट जाओ एक अंतराल के बाद आना तो सुबह की तरह आना , रात की तरह ठहरना मेरे पास , किसी समुंदर की तरह न आना मेरे पास लबालब भरे हुए ऊपर तक, आना किसी प्यास की तरह,,
एक शब्द की तरह मत लिखना मुझे लिखना अर्थ की तरह , कि खिल उठे शब्द एक एक करके आना पंक्तियों की तरह और बदल देना एक कविता में मुझे,,,
दर्ज़ रहूँगी तुम्हारे हृदय की पुस्तक के किसी पन्ने में क्योकि कवितायें कभी नहीं मरती