Rashmi Saxena  
683 Followers · 119 Following

बचे पड़े हैं अभी भी
कुछ बीज मोहब्बत के ज़हन में

जहाँ नमी दिखी,,,
बो दिए वहीं,,,,,,!!
Joined 30 September 2017


बचे पड़े हैं अभी भी
कुछ बीज मोहब्बत के ज़हन में

जहाँ नमी दिखी,,,
बो दिए वहीं,,,,,,!!
Joined 30 September 2017
24 OCT 2021 AT 10:46

किसी बसंत की तरह मत आना जीवन में,
कि लौट जाओ एक अंतराल के बाद
आना तो सुबह की तरह आना ,
रात की तरह ठहरना मेरे पास ,
किसी समुंदर की तरह न आना मेरे पास
लबालब भरे हुए ऊपर तक, आना किसी प्यास की तरह,,

एक शब्द की तरह मत लिखना मुझे
लिखना अर्थ की तरह , कि खिल उठे शब्द
एक एक करके
आना पंक्तियों की तरह
और बदल देना एक कविता में मुझे,,,

दर्ज़ रहूँगी तुम्हारे हृदय की पुस्तक के
किसी पन्ने में
क्योकि कवितायें कभी नहीं मरती

-


4 MAY 2021 AT 14:17

रुग्ण समय की
छाती पर जमा कफ़ है
कालाबाज़ारी

वेंटिलेटर देह को
दे देता सांसें,
परन्तु , खेद है कि
आत्मा मर रही है
यहाँ

-


28 APR 2021 AT 1:15

गुज़र जाएगी ये रात भी माना काली है , मग़र
हर अमावस की रात का इक सवेरा होता है

-


27 APR 2021 AT 2:48

रोक लो , समझाओ, जुर्माना लगाओ कोई तो उस पर

एहतियात के दिन हैं और मौत गले मिल रही है ज़िन्दगी के

-


14 APR 2021 AT 13:42

प्रार्थनाओं में हमने
सुख नहीं माँगा कभी

माँगी तो
दुःख को निर्वहन
करने की थोड़ी और
अधिक क्षमता माँगी

क्योंकि
जीवन से जाना हमने
सभी सस्ती वस्तुयें ,
अधिक टिकाऊ और
भरोसेमंद नहीं होती

-


7 FEB 2021 AT 13:20

हवाओं की कुछ ख़िलाफ़त भी रही
चलन भी जहां का बदल गया थोड़ा

बस्तियाँ हैं हर तरफ़ ख़ारों की यहाँ
अगरचे , गुलाबों सा महकते रहना तुम

-


4 JAN 2021 AT 15:29

कीमत कम भी नहीं आँकी थी जौहरी ने
बस तुम्हारे शहर में चलन से बाहर थे हम

-


9 DEC 2020 AT 0:15

ग़र हो सके, थोड़ा सा वक़्त ले आना मेरे लिए
सुना है कि , आज के दौर में कीमती बहुत है

-


29 NOV 2020 AT 23:54

मिलना तो ऐसे मिलना ,
मिलती हैं जैसे दो स्त्रियाँ
खोल कर अपने - अपने दुखों की सियन ,
जैसे घर लौटते
यात्री को मिलती अपनी रेलगाड़ी,

प्रार्थना में मिलती हैं जैसे
दो हथेलियाँ , ठीक वैसे मिलना
"तुम"

-


1 NOV 2020 AT 0:29

आदमी अकेला नहीं होता कभी
एक दुःख चलता है हमेशा उसके साथ साथ

जैसे सिर के साथ चलता है
आसमान
पाँव के साथ चलती है कोई सड़क

आँखों के साथ चलता है एक चेहरा
मन के साथ कोई आस चलती है

नितांत अकेले थे वे लोग
जिनके पास कोई दुःख नहीं था

ऊब नितांत अकेलेपन का परिणाम थी

-


Fetching Rashmi Saxena Quotes