. .   (Ranu)
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Joined 13 January 2018


Joined 13 January 2018
YESTERDAY AT 0:38

लिखी कविता कई पर तुम्हें पढ़ाई नहीं
बात दिल की लिखी पर सुनाई नहीं

हर बार कड़वी लगी मोहब्बत चखने पर
इसके बाद भी मौक़ा मिला तो बाज आई नहीं

मेरे लिये कविता हर दिन का जीना है
जिस दिन कुछ नहीं लिखा तो नींद भी ठीक से आई नहीं !

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YESTERDAY AT 0:23

पहुँच पाता तो पहुँच जाता
चाँद को भी दूर से दीदार कहाँ भाता होगा
है शामिल ज़िन्दगी में यूँ तो
पर ऐसी ज़िन्दगी से क्या ही ख़ास हासिल हो पाता होगा!

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18 APR AT 23:57

क्यों करूँ जंग तीर तार से
उसके लिये मेरी कविता तैयार है!

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16 APR AT 0:12

सब कर रहे थे इश्क़
तो हमने भी कर लिया
पर अब ये कब तक निभाना है
ये कौन बतायेगा!

दोनों के हाथ ख़ाली थे
चलते चलते पकड़ लिया
पर अब ये कब छोड़ सकते हैं
ये कौन बतायेगा!

मन मसोस करता है
हर दम अकेला लगता है
अब दोबारा ये मन कहाँ लगेगा
ये कौन दिखायेगा!

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1 DEC 2023 AT 0:39

देख कबीरा चुभ गई
काँटे सी पैनी बात
मन से भोझ उतार दिया
सच से लगाकर आग!

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1 DEC 2023 AT 0:33

A semicolon's pause, a second glance
Weighing chances before the final end.

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6 NOV 2023 AT 0:30

मुझे पसंद है पुरानी कविता
जो मैं काग़ज़ों पर लिखती थी
वो जो कभी तुमने सुनाई थी
जो लिखी थी लड़कपन में
और फिर दुनिया से छुपाई थी

कविता, जिसका हर शब्द याद है
पर कभी गुनगुनाती नहीं
अब पढ़ती नहीं, सुनाती नहीं
रखती हूँ सहेज कर उस याद की तरह
जो सबसे क़रीब, सबसे अज़ीज़ है!

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27 OCT 2023 AT 23:27

मेरा चाँद से कोई रिश्ता है
जैसे जानता वो मेरा हर क़िस्सा है
मेरा हर आँसू देखा है उसने
रहा मेरी हर ख़ुशी का हिस्सा है!

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11 OCT 2023 AT 17:36

सोच से परे
एक दुनिया बसी
थी इतनी खूबसूरत किसी ने बताया नहीं!

मैं आयी हूँ किसी को छूकर अभी
सपने में भी नहीं मिली जिससे कभी!

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23 SEP 2023 AT 18:50

ज़हन में एक ख़याल उबाल लें रहा है
खुद को ख़तरे में डालने की तैयारी है शायद!

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