Rameshwar mishra   (#YrS)
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Cogito ergo sum
Joined 2 May 2018


Cogito ergo sum
Joined 2 May 2018
15 DEC 2023 AT 18:49

शून्य क्या है
शिखर क्या है ,
तुम हमारे साथ हो
फिर फिक्र क्या है...
जीवन की अंगड़ाईयां
करवटें बदलती रहेगी ...
पल- पल प्यार की हमारी,
परीक्षाएं चलती रहेंगी...
सफलता और असफलता का,
जिक्र क्या है?
तुम हमारे साथ हो,
फिर फिक्र क्या है।
©rameshwarmishra

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21 AUG 2023 AT 11:17

किसी पल लिखूँगा,
कहानी के अंतिम पंक्ति को...
अभी अपने किरदार का सफर,
अधूरा है !

©rameshwarmishra

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30 SEP 2021 AT 18:20

खुशी है की ,
कुछ पल तो साथ बिताए हमने...

फिर क्यूँ रोना की,
हम साथ नही अब !

खुशी है की,
हमने मिलकर के,
प्यार की नाँव चलाई अपनी,

फिर क्यूँ रोना की,
लहरों ने झकझोरा ऐसा
उम्मीदें वफ़ा की अपनी डूब गई !

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15 SEP 2021 AT 22:30

जिसके ख्वाबों मे,
बिता दी अपनी आधी उम्र,
वो पहला इश्क़ मुक्कमल हो,
ये जरूरी तो नही...

जिसे मान बैठे थे,
अपने राह के हमसफर...
वो हर सफर मे साथ हो,
ये जरूरी तो नहीं।

बेशक वो मिटा दे,
अपने यादों से मुझे,
मै भी उसे भुला दूँ,
ये जरूरी तो नही ।
©rameshwarmishra

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1 SEP 2021 AT 12:15

भूखे -बिलखते बच्चे,
अपने गोद लिए, जो माँ ...
सड़कों पे सोने को मज़बूर हो जाती है...

दर्द बयाँ करें इनका,
अब ऐसी कविताएँ ,
कहाँ लिखी जाती है...

हकीकत से कोसो दूर,
भ्रांतियों मे जकड़े,
सुहावने सपने बेची जाती है...

कवि धर्म का पालन हो,
अब ऐसी कविताएँ ,
कहाँ लिखी जाती है...

©rameshwarmishra

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30 AUG 2021 AT 22:24

उसका होना ,
खुशी थी मेरी...
उसका जाना,
मेरा गम...
उससे बातें,
यादें बन ठहरी ...
उसका कुछ कहना ,
मेरा हमदम...

उससे मुलाकातें,
चाय पर बातें ...
ये सारे पल ,
अब बस है यादें ...

उसका होना,
जीवन था मेरा,
उसका जाना,
मेरा अंत।
©rameshwarmishra

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23 JUN 2021 AT 21:01


अगर संघर्षों से जूझते ,
मझधार में हो तुम...

खुद पे विश्वास किये,
थामे धैर्य का हाथ हो तुम...

खुद ही लिखोगे एक दिन,
अपने जीत की दास्ताँ...

यदि आख़िरी साँस तक,
लड़ने को तैयार हो तुम !

©rameshwarmishra

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17 JUN 2021 AT 20:47

अनसुलझे रिश्तें,
तबाह सपनें,
ना उम्मीदें,
राख यौवन...
और
ये,
जिंदगी मौसम सी ।

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3 JUN 2021 AT 11:17

एक ख़ामोशी लिए,
खुद को ढूँढता फिर रहा हूँ...

शोर मे दफ़न कर अंतर्मन की आवाज,
खुद को खो चुका था मै !

©rameshwarmishra

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31 DEC 2020 AT 13:10

सपनें,
प्रमाण है,
मनुष्य के जीवन्त होने का...
सपनों का इतिहास,
उन्हीं के नाम है...
जिन्होंने दर्ज की ,
अपनी उपस्थिति जीवन के संघर्षों में,
खुद को पाने के लिए।
©rameshwarmishra

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