12 MAR 2018 AT 0:31

सियासत ने एक खेल रचा था,
जिसमें १९४७ में भारत फँसा था,
जिसकी वजह से बँटवारा हुआ था,
मुल्क दो हिस्सों में बँटा था,
पाकिस्तान का जन्म हुआ था,
बहुतों ने अपना घर खोया था,
हर इंसान बहुत रोया था,
दंगों में अपनों को खोया था,
सियासत ने नफ़रत का बीज बोया था,
आज तक हम उस खेल से निकल नहीं पाए,
बँटवारे की वजह से पिसते है हम आए,
सियासती कुत्तों की चाल समझ नहीं पाए,
बल्कि इस खेल में हम और फँसते चले आए,
सतलुज, रावी, झेलम, चिनाब और ब्यास,
पाँचों आज भी एक हो जाए,
गर सियासती खेल से हम बाहर आ पाए,
इस खेल का पर्दाफाश हो जाए।

- Raman