25 JUL 2017 AT 12:52

चाहे कितने भी तूफ़ान आए,
चाहे कितनी भी तेज़ हो बारिशें,
फिर चाहे अंधी या सेलाब आए,
मेरे क़दम नहीं धगमगा पाएँगे,
मेरे हौसला कहा ये तोड़ पाएँगे,
मंज़िल पे मुझे पहुँचने से ये कभी नहीं रोक पाएँगे,
ख़ुशियों के मुर्जाए फूल फिरसे ज़रूर खिलेंगे,
मैं भी देखता हूँ ये उन्हें खिलने से कैसे रोक पाएँगे।

- Raman