12 OCT 2017 AT 8:23

गेहरे थे जख्म मेरे,
और राज़ उनका भी गहरा था।

सपनो की आज़ादी रास न आयी उनको,
आँखों पर शोहरत का कुछ ऐसा पेहरा था।

- Rama