Rakhi   (कहानियाँ)
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कहानियाँ लिखती हूँ मैं, कभी आधी, कभी अधूरी, और कभी पूरी, कुछ जिंदगी सी, कुछ मुझ सी ।
Joined 15 February 2018


कहानियाँ लिखती हूँ मैं, कभी आधी, कभी अधूरी, और कभी पूरी, कुछ जिंदगी सी, कुछ मुझ सी ।
Joined 15 February 2018
26 MAR AT 13:33

आज बड़ी ऐंठ से नजर अंदाज कर दिया हमें
जिन्हे हमने नजर से भी नहीं था कभी गिराया

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26 MAR AT 13:30

वो बोला बात कर लेते मुझसे
मैं आस पास ही तो था
हमने कुछ कह दिया तो बोला
छोड़ो बात करने से क्या फायदा

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5 MAR AT 15:05

"बस इतनी सी बात समंदर के दिल को लग गई
एक काग़ज़ की कश्ती मुझ पर कैसे चल गई"

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3 MAR AT 13:09

हर तरफ सफ़र हैं और उसकी बद गुमानीयां
ना जानें क्यूं कोई मंज़िल की बात करता नहीं

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3 MAR AT 13:09

हर तरफ सफ़र हैं और उसकी बद गुमानीयां
ना जानें क्यूं कोई मंज़िल की बात करता नहीं

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1 MAR AT 20:29

मैं, उसकी कहानी में कभी थी ही नहीं
मैं, खुद को बेवजह ही अहम मानती रही

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13 FEB AT 17:54

मेरी फितरत में नहीं है
बात को बढ़ाना
मेरी चुप्पी को समझते तो
बात ना बढ़ती

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12 FEB AT 16:03

उससे बात होती है जरूर
बस अब बात ही होती है

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17 DEC 2023 AT 12:15

अर्ज़ किया है ~

कैसे करूँ तुमसे
कोई शिकवा
या शिकायत
के तुम पास नही हो
मगर साथ तो हो

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16 DEC 2023 AT 14:18

♡♡
तुम वो सब हो
जिसकी मुझे चाह थी
तब भी जब कोई चाह नही थी
♡♡

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