21 JUN 2017 AT 22:19

ये एक परिपक्व
प्रेम की परिभाषा है
उन्हें जब सोचते हैं
चुप्पी की सीमा में
बिखर सी जाती है जिंदगी
जैसे किसी मृगतृष्णा
के मद में अंधा हिरण
बिखर कर भी जीता है वो
खुशबू का अहसास जिस से
वो कभी मुक्त नही हो सकता
और कस्तूरी पाने की लालसा
उससे चैन से बैठने भी नही देती ।
वो प्रयत्नशील रहता है कि कैसे
वो उस फूल को खोज ले जिसकी
खुशबू उसे मदमस्त कर रही है ।
और शायद मरते दम तक ये तकलीफ
उसके साथ रहती है कि उसे मिली नही
वो खुशबू ढूंढने से ।
#राखी

- #राखी