सीलन से भरी दीवार है ज़िन्दगी जाने कब ढह जाए,आँसू का सैलाब है आंख में जाने कब बह जाए. #राखी - #राखी
सीलन से भरी दीवार है ज़िन्दगी जाने कब ढह जाए,आँसू का सैलाब है आंख में जाने कब बह जाए. #राखी
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