मेरी मां.....
कल रात को देखा था मैंने अपनी मां को अपने ख्वाब में, सो रहा था मैं उनकी आंचल की छांव में, ऐसा लगा जैसे मुझे सब कुछ मिल गया, तेरी ममता को देखकर मेरा रोम-रोम खिल गया। मेरे सर पर हाथ तूने कुछ ऐसे घुमाया था पल भर में सारे दर्द को तूने मिटाया था। खुश तो बहुत था मैं तुझे अपने पास पाकर, फिर अचानक से याद आया यह तो सिर्फ एक सपना है। हे मां तेरे सिवा तू ही बता इस जहां में कौन मेरा अपना है। आंखें नम हुई मेरी और दिल मेरा भर आया। जब तुझे है मां अपने से दूर तुझे पाया।
मां क्यों इतनी जल्दी तू हमसे दूर हो गई। हमें अकेला छोड़ने पर मजबूर हो गई। मां ने कहा मुझसे बेटा मैं तुझ से कहीं दूर नहीं हूं, तु मुझे बुलाएगा मैं चली आऊंगी अब मैं मजबूर नहीं हूं। मेरे सारे दर्द से मुझे आराम मिल गया। तू चिंता ना कर खुश हूं मैं यहां मुझे अब मेरा श्याम मिल गया।
सुन के तेरी बात को दिल को मेरे आराम मिल गया। हे मां तू हमेशा साथ है मेरे तेरा यह पैगाम मिल गया।
-