कुछ भी नहीं था मेरे पास तेरे आने से पहले कम से कम अब तेरी यादें तो हैं तेरे जाने से पहले था राज एक मैंने तुझे बताया नहीं कभी एक दफा और लुटा था मैं तेरे यहां आने से पहले
मकबरे और भी हैं आगरा में तुम ताज ही क्यों निहारा करते हो वो हर रोज किसी गैर की बाहों में गुजारता है सर्द रातें जिसकी याद में तुम इन रातों को बिताया करते हो
मंजिल बननी नहीं तू मेरी ये पता है मुझको मोहब्बत करने का मन तो है मगर खोने का डर लगता है तुझको दोस्त बनकर निभा दे हो सके तो इस जन्म में तेरा साथ 'राज' हर जन्म में खुदा से मंगना है मुझको
आखिर गुजर गए वो लम्हे जिनमें अहसास थे तेरे वो जल गए पन्ने जिनमें अल्फाज थे तेरे किसने किया ये सब पता नहीं मुझको वक्त से पहले बुझ गए थे वो दिए जिनपे नाम थे तेरे