Rajnish Pandey   (Rajnish pandey)
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CS and
CA by
profession and
a writer by addiction
Allahabadi (प्रयागराज)
Mumbai indian
Joined 16 April 2018


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Allahabadi (प्रयागराज)
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Joined 16 April 2018
12 NOV 2021 AT 19:54

परस्पर प्रेम का नाता पुराना छोड़ आया हूँ,
नगर की चाह में मैं गाँव पावन छोड़ आया हूँ,

सरोवर गुल बहारें स्वच्छ उपवन छोड़ आया हूँ.
सुगन्धित धूप से तुलसी का आँगन छोड़ आया हूँ,

कि जिन नैनों में केवल प्रेम का सागर छलकता था,
हमेशा के लिए मैं उनमें सावन छोड़ आया हूँ,

गगनचुम्बी इमारत की लिए मैं लालसा मन में,
बुजुर्गों की हवेली माँ का दामन छोड़ आया हूँ.

मिलन को हर घड़ी व्याकुल तड़पती प्रेयसी का मैं,
विरह की वेदना में टूटता मन छोड़ आया हूँ,

अपरिचित व्यक्तियों से नया रिश्ता बनाने को,
जुड़े बचपन से कितने दिल के बंधन छोड़ आया हूँ

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10 NOV 2021 AT 1:55

किसे मालूम क्या होगा, नहीं कुछ भी पता हमको
है आने वाले पल में क्या नहीं कुछ भी पता हमको ।।

ये दुनियादारी अपने बस की क्यों हमको नहीं लगती
रहा क्यों अपना दिल बच्चा नहीं कुछ भी पता हमको ।।

सजा किस बात की हमको मिली समझे नहीं ये हम
बयाँ अपना तो था सच्चा नहीं कुछ भी पता हमको ।।

ख़ता हमसे हुई कुछ तो दुआ भी लौट आई है
हैं क्यों दुनिया में हम तन्हा नहीं कुछ भी पता हमको ।।

हुए बेहिस मगर फिर भी "रजनीश" महसूस है होता
तो क्या अहसास हैं ज़िंदा नहीं कुछ भी पता हमको ।।

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30 JUL 2020 AT 23:40

वो एक सफर कितना सुहाना होता,
जहाँ वो एक पगली,मैं एक दीवाना होता।।

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24 MAY 2020 AT 8:57

उनसे मिलने की चाहत है, मुकम्मल हो नहीं सकती।
मिलना तो जरूरी है, तारीख मुक़र्रर हो नहीं सकती।।

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23 NOV 2019 AT 20:41

अपनी आंखों को मैं कुछ भीगाना चाहता हूँ,
मैं कब से नहीं रोया अब रोना चाहता हूँ।।

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23 NOV 2019 AT 18:22

कभी दिल, कभी जहन कभी ख्याल में रहते हैं,
हम वो खुसबू हैं जो तेरी रुमाल में रहते हैं।
तू नहीं साथ मेरे, ये हकीकत तो है लेकिन,
तुझे सोंच कर हम अब भी कमाल में रहते हैं।।
तुझे सोंचना, तेरा न होना, गजल कह देना,
यही वो फन हैं जो मेरे खिसाल में रहते हैं।।

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18 NOV 2019 AT 11:34

गंगा यमुना का शहर है, तहजीब भी पुरानी,
वहीं पे बस्ती है वो जिसकी सूरत है सुहानी।
कभी गंगा कभी यमुना ये सब कबके किस्से थे,
आजकल रिश्ते हमारे उसके संगम के हिस्से थे।

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27 OCT 2019 AT 13:45

मुट्ठी में रेत के मानिंद फिसल रही है जिंदगी,
एक तेरी मोहब्बत से ही तो चल रही है जिंदगी।
एक जमाने से दिन गुलजार था तेरी यादों से,
आज तेरी यादों में अरिजीत सिंह है जिंदगी।
हर कोई जी ले इसे, इतनी भी आसान नहीं है,
बहुत ही मुश्किलों भरी है रजनीश की जिंदगी।।

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15 SEP 2019 AT 15:01

मैं कल था करेली, वो जहां थी अकेली।
मिली जो उसकी सहेली , फिर मैं बर्बाद हो जाऊं।

मिले फिर जो वफ़ा में हम, कम हो हमारे गम,
उसकी सूरत को देख सिविल लाइन्स की शाम हो जाऊं।

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7 SEP 2019 AT 1:25

आज तलक उनका एक जवाब न मिला
यह सवाल वो है जिसमें हिसाब न मिला
ताउम्र उसको देखकर सोंचा बहुत हमने
'रजनीश' दोस्ती तो हो गयी, प्यार न मिला!

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