12 JUL 2017 AT 21:44

सुबह की खबर का , शाम तक मंज़र कुछ और होता है,
मेरे हाथ पहुँचते है क़ातिल के गिरेबाँ तक कि ,
क़त्ल वाला खंज़र कुछ और होता है।

- ✍🏻 राजेश "राणा" ©