Raj Vivek  
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Joined 19 October 2017


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Joined 19 October 2017
7 NOV 2020 AT 23:35

बस्ते में भर के सारे वादे
मैं तुमसे मिलने आऊंगा..
तुम अपनी किताबें ले आना
मैं अपने पहाड़ ले आऊंगा..

फिर देख के एक अच्छा सा कोना
किस्सों की चटाई बिछाएंगे
और नई पुरानी यादें
सब उसपे हम सजाएंगे..

सब कहना अपनी दिल की तुम
मैं सुकून से सुनता जाऊंगा
फलसफों वाली पोटली से
फिर कई सवाल निकालेंगे
हो क्या दस्तूर इस दुनिया का
इस पर भी राय बना लेंगे

तुम कहना जो माधव ने कहा था
मैं बुद्ध को दोहराऊंगा..

ता-उम्र न सही कुछ पल ही सही
एक दुनिया सी नई बना लेंगे
इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी से
कुछ लम्हे हम चुरा लेंगे

तुम बाहें अपनी फैलाना
मैं बारिश को बुला लूंगा

सुनो,तुम अपनी किताबें ले आना
मैं अपने पहाड़ ले आऊंगा❤️

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21 OCT 2020 AT 3:30

leaving someone in the middle of an ocean nd that too knowing the fact that person is unable to swim could be dangerous for someone... people often don't realise it but this could be a traumatic experience...if you r aware of the fact how vulnerable that person is...sometimes we got so busy in our problems nd priorities that other person's struggle become vague nd that person for the sake of ur happiness keep hiding his pain nd keep cuddling u again nd again until u fall asleep...And one day everything that was piled up got distorted lyk someone needled in floating ballon which was meant for only going up...we r living in such an evil environment where negativity occupies at bullet speed nd positivity at snail pace.....if stories are not meant to be together at least we should sail the boat at shore so there is little or no risk of drowning...Loving caring acceeptance expectation all are by-products...lets not forget the bottom line of ur relationship and dont worry one day everything will be so calm... till then keep hustling ALONE

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15 JUN 2020 AT 2:34

कभी कभी खुद को समझाना बहुत मुश्किल हो जाता है
जब सामने बैठा इश्क़ आपसे आपके इश्क़ पर सवाल करे।।

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29 APR 2020 AT 14:48

काफी दिन हो गए कुछ लिखे हुए
क्योकि लगने लगा था कि बहुत ही साधारण लिखने लगा हूँ और दिलचप्सी भी नही रही अब वैसी...
आज 29 अप्रैल 2020 है
दुनिया एक जानलेवा वायरस से जूझ रही है
दिक्कत ये है कि मैं दिल्ली में फस चुका हूं और मुझे मेरी तकलीफो से तक़लीफ़ होने लगी है हालांकि खानापीना सब सही हो रहा है पर खुद को समझा नही पा रहा हूं कि सब ठीक है मेरे साथ क्योंकि अपनो के साथ नही हूं और तकलीफो का ये सीन है कि हमे अपनी ही बड़ी लगती।।

कहावत है when life gives u leemos make lemonade पर असल जिंदगी में जब लाइफ आपको निम्बू थमाती है न तो शिकंजी बनाने बड़ा मुश्किल हो जाता है...ये इऱफान खान के अंतिम संदेश की कुछ पंक्तिया है जिनका आज निधन हो चुका है मुझे पर्सनली उनके बारे में बहुत कुछ लिखना था जिसे आप पढ़ते तो उनके aura का पता लगता अफ़सोस मैं उतना खूबसूरत कहानीकार नही पर उम्मीद है किसी न किसी के कलम से उनकी कहानी सुनूंगा ही।
आज जब हर तबके के लोग उनकी मौत पर शौक़ जता रहे है तो एक अंतर का पता चला...शख्स और शख्सियत के बीच का...जब किसी की मौत पर आपको लगने लगे कि कोई अपना चला गया हो तो ज़रूर उस शक्श ने ईमानदारी से शख्सियत बनने की दौड़ लगाई होगी...caption👇

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14 FEB 2020 AT 22:28

when the market demand of products rises
it's quality become poor.

Example:LoVe💓

But this is that thing everyone consumes nd it's rare to find superior quality over quantity.

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21 DEC 2019 AT 1:07


जनमत संग्रह बताता है कि
बात सिर्फ गलतफहमियां न थी
अंत में कहानी का सार समझ आ जाता है
नैतिकता का बखान भी समझ आ जाता है
रावण भी जस्टीफ़ाइड था अपनी मर्यादा मैं
परंतु पाप का भागीदार था रामायण में

आग लगाई है जिसने भी जड़ो में
खोखला ये पेड़ हो रहा है
भिन्न भिन्न टहनियों से जो सजा था
अंदर से जमीन छोड़ रहा है
पेड़ से पौधे का सफर जिसने देखा नही
उसको गुरूर है कि एक दिन सींचने से उग आया होगा

लहू सही गलत देखकर नही बहता
रंग भी एक समान सा होता
टोपी और चंदन प्रमाण नही है
जो गुमराह कर रहा वो इंसान नही है


सही और गलत के बीच कही वास्तविकता बिक रही है,
बोध हो तो समझ जाओ अटल और अब्दुल के बीच एक दीवार सी खींच रही है।।

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14 OCT 2019 AT 23:27

you r the DORA of your story
don't look for anyone to explore u.

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2 OCT 2019 AT 23:07

Two most ingredients to look cool now-a-days
1.boycotting gandhian ideology
2.being an atheist

Read in caption👇

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14 AUG 2019 AT 1:50

वो खत खोल कर ज़ज़्बात पढ़ने की ख़ुशी
वाट्सएप्प के मैसेजो में नहीं ढूंढ पाओगी
यकीन मनो दोहरी दुनिया है हमारी
इश्क़ के दम पर न गुज़ार पाओगी
छोटी छोटी खुशियों की कश्ती पे सवार हूं
मेरे अनगिनत सी ख्वाइश की भवर में फस जाओगी
तुमको तो कहानियों में सुना है मेरे किस्से में कहा सिमट पाओगी।।

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21 JUL 2019 AT 0:23


वृन्दावन की राधा हो तुम
कृष्ण से कभी बैर न रखना
ह्रदय में अर्पित प्रेम को
झोंके पवन की लगने देना
बुझने न देना
तुम राधा हो न
कृष्ण से कभी बैर न रखना

हर व्रत रखना
निशा की आखरी पहर तक सहना
कृष्ण तुम्हारा अविरल है
अपनी प्रेम भक्ति में रूठ न जाना
तुम राधा हो न
कृष्ण से कभी बैर न रखना

बाँसुरी की वो तान
जिससे तुम खींची चली आयी हो
वो गोकुल के लिए थी
ऐसी समझने की भूल न करना
तुम राधा हो
फटकार लगाना रूठ भी जाना
कभी बैर न रखना।।

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