बस्ते में भर के सारे वादे
मैं तुमसे मिलने आऊंगा..
तुम अपनी किताबें ले आना
मैं अपने पहाड़ ले आऊंगा..
फिर देख के एक अच्छा सा कोना
किस्सों की चटाई बिछाएंगे
और नई पुरानी यादें
सब उसपे हम सजाएंगे..
सब कहना अपनी दिल की तुम
मैं सुकून से सुनता जाऊंगा
फलसफों वाली पोटली से
फिर कई सवाल निकालेंगे
हो क्या दस्तूर इस दुनिया का
इस पर भी राय बना लेंगे
तुम कहना जो माधव ने कहा था
मैं बुद्ध को दोहराऊंगा..
ता-उम्र न सही कुछ पल ही सही
एक दुनिया सी नई बना लेंगे
इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी से
कुछ लम्हे हम चुरा लेंगे
तुम बाहें अपनी फैलाना
मैं बारिश को बुला लूंगा
सुनो,तुम अपनी किताबें ले आना
मैं अपने पहाड़ ले आऊंगा❤️
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