दिल के सीसे में किसी गैर की यूँ जगह नहीं होती।
इश्क़ होता नहीं जब तक रब्ब की रज़ा नहीं होती।
इस जमाने में कोई भी रिश्ता यूँ बेवजह नही होता,
सच्ची चाहत की मगर, कोई भी वजह नहीं होती।
वक़्त की गुल्लक से'चुरा लो हसीन लम्हों' को तुम,
यह वो चोरी है, जिसकी कोई भी सजा नहीं होती।
दर्द का हदसे आगे गुजर जाना ही इलाज होता है,
इश्क़ में मिले हुए ज़ख्मों की, और दवा नहीं होती।
'राज़'खुलता न अगर तेरी बेवफाई का महफ़िल में,
हमारी ये मासूम चाहत इस क़दर रुसवा नहीं होती।
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