Raj Badhan   (Raj)
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Joined 21 October 2019


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Joined 21 October 2019
1 APR AT 12:11


कोशिशों के बाद भी हर बार क्यों?
मेरे नसीब ए रब आख़िर हार क्यों?

आज ना भी सही तो चलो कल सही,
मुक़्क़दर में है करना इतना इंतज़ार क्यों?

मेहनत भी की कड़ी है देखी हर घड़ी है,
पड़ रही बेवजह ये वक्त की फिर मार क्यों?

मैंने नहीं की कभी किसी से भी नफ़रत,
फिर भी किया नहीं किसी ने मुझसे प्यार क्यों?

सोचा तो नहीं ‘राज’ डोल जाऊँगा कभी,
टूटा हुआ नज़र आ रहा हूँ मैं इसबार क्यों?

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27 MAR AT 20:10

दिल टुकड़े टुकड़े जब हुआ,
एहसास ये हमको तब हुआ,
हमे तो था बस प्यार उनसे,
प्यार उनको हमसे कब हुआ।

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27 MAR AT 20:06


कई कई दिनों के अक्सर बाद आया मैं,
सबको अपने मतलब पे याद आया मैं।

जिनको एक जमाना हो गया मुझसे मिलके,
उनकी रातों में बन कर ख़ुआब आया मैं।

सवाल उठाया करते थे जो मुझ पर कभी,
उनके सवालों का बन के जवाब आया मैं।

जो कौड़ियों के भाव समझ छोड़ गये मुझे,
बन बेशक़ीमती उनकी नज़रों में आज आया मैं।

मुशीबत में नहीं सब साथी चलती गाड़ी के,
ये हक़ीक़त बखूबी जान ‘राज’ आया मैं।

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27 MAR AT 20:03

हर एक बात में होना होशियार सीखेंगे,
धीरे धीरे सबको करना इनकार सीखेंगे,
जान गये ‘राज’ जमाने को बेहतर हम भी,
खुदी से ही करना बस अब प्यार सीखेंगे।

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4 MAR AT 12:34

यूही वक्त ना बिताना इनकार होने तक,
दूर चले जाना उनसे तकरार होने तक,
पल में बदल जाएगा ‘राज’ जान से प्यारा,
सम्भाल लेना ख़ुद को प्यार होने तक।

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26 FEB AT 21:13

हमारी शराफ़त का कोई हक़ अदा कर पाता,
संग हमारे भी कोई ज़िन्दगी में वफ़ा कर पाता।

अधूरी अपने से भी और ग़ैर से भी आस रही,
कोई हमारे टूटे हुए दिल की दवा कर पाता।

हम तो बने ही हमेशा हर एक लिये बेहतर,
बनके हमारा कोई लिए हमारे दुआ कर पाता।

बुरा तो करते ही हैं इस जमाने में कुछ लोग,
खा तरस ही कोई हमपे हमारा भला कर पाता,

शायद ग़लत हम इंसा को ही रब मान बैठे,
उम्मीद इंसान से थी फिर क्या ख़ुदा कर पाता।

एक उम्र गुजर गई हमारी बस प्यार के ख़ातिर,
काश फिर से हमे ‘राज’’ कोई जवा कर पाता।

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26 FEB AT 8:13

हमारी दुआ में हमे रब से ये ही कहना,
सजती संवरती हुई तुम सदा खुश रहना,

सारे जहां की दे हर ख़ुशी तुम्हें रब जी,
बागों में फूलों सी हरदम महकती रहना।

ना हो गिला कभी तुम्हें अपनी क़िस्मत से,
सांत झील जैसी ज़िंदगी में अपनी वेहना।

मुश्किलों का सामना ना हो तुमसे कभी,
पड़े ना तुम्हें किसी तरह का दुख सहना।

भूल कर पुरानी बातें कदम आगे बढ़ाना,
ये फ़र्ज़ यादों का बस से बरकरार रहना।

नज़र ना लगे तुम्हें और तुम्हारी दुनिया को,
ये ‘राज’ की अरजी रब से फिर ये ही कहना।

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24 FEB AT 8:27

दिल खोल अपना किसी को ना दिखाना,
अपने ही अंदर अपने ग़मों को छुपाना।

सैकड़ो सवाल हो जाते है इक बात पर,
हाले ए दिल अपना किसी को ना बताना।

मुस्कुरा कर रोक लेना अपने गिरते आँसू,
पर चेहरे पर अपने कभी उदासी ना लाना।

गिराना है फ़ितरत इस जमाने की यारों,
गिरा ना सके कोई इस्कद्र ख़ुद को उठाना।

ना पड़ जाना कभी झाँसे में इन हसीनों के,
सदियों से नहीं इनकी बातों का कोई ठिकाना।

बना देती है मजाक ये दुनिया जज़्बातों के,
किसी के सामने कभी ना ‘राज’ टूट जाना।

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24 FEB AT 7:55

रोया ना करो जरा मुस्कुराया करो,
जलती है दुनिया तो और जलाया करो।

याद रखना सबको तो ज़रूरी नहीं,
जो भुलाए तुम्हें उसे याद आया करो।

कोई करे गौर जब तुम्हारी तरफ़ तो,
हल्का सा मुस्कुरा दूर हो जाया करो।

ना बेगना ना अपना ही अपना बानेगा,
हर किसी में ना दिलचस्पी दिखाया करो।

दिल इक है और ज़िंदगी भी इक ही है ,
तो बेक़द्रों के ना संग वक्त बीताया करो।

वजूद अपना रखो हमेशा बरकरार ‘राज’,
किसी के होने से पहले ख़ुद के हो पाया करो।

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21 FEB AT 8:54


जाना ही नहीं तुमने हमे तुम प्यार मेरे को पहचाने नहीं,
मन माना नहीं ख़ुद तुम्हारा कहते हो घरवाले माने नहीं।

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