मानो चाँद से चाँदनी रूठ गई हो,
फूलों से महक छूट गई हो,
नदी में प्रवाह न हो, बारिश में नमी न हो,
इंद्रधनुष में रंग न हो, मेरा रब मेरे संग न हो।
ऐसा लगता है,
तेरे रूठ जाने पर।
संगीत में जज़्बात न हो, कंठ में अल्फाज़ न हो,
दिल है, धड़कन न हो, आँखों में कोई ख़्वाब न हो,
नींद में भी सुकूं न हो, मानो शरीर है,पर रूह न हो।
ऐसा लगता है,
तेरे रूठ जाने पर।
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