मुद्दतो से कुछ ख्वाब अधूरे है
ए नींद तू आज आ जाना . .-
हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है साहिब।
अफवाहें तो घर बैठे आप तक पहुंच जाती हैं।
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कुछ यादें है जिन्हें में मिटाना चाहता . कुछ लम्हे है जिन्हें भुलाना चाहता हु. . आंखे नम सी कर देती है उन्ही लम्हो को भूल जाना चाहता हु .
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प्यार में जीने मारने वालों. . कभी अपनी माँ का खयाल कर के यह बोलना . . .
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बिना महोबत के हाथ थामा था
सोच था महोबत हो जाएगी. . दिन पे दिन कट गए . महोबत तोह नही हुई . महोबत करने का कारण मिल गया. . पर महोबत न हुई. . लेकिन उम्मीद अभी भी है । ।-
शायद खुश है वो हमसे दूर हो कर. .
यही सोच कर हम भी जिये जा रहे .
उसकी खुसी के लिए दुआ किये जा रहे . .
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एक पे एक साल बीत रहे. .
तुम्हारी यादों के साये में. .
अभी भी मलाल हु. . ।-
पास नही हो.
तब भी महसूस करता हु. .
भीड़ में भी अकेला रह गया हूं
शोर भी सन्नाटा सा लगता . . बस
याद है तोह वो हसीन पल . माना की
कहा था साथ नही रह सकते . . पर तुम्हारा
हमेशा के लिए जाना मुझे मलाल कर गया. .
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