23 FEB 2018 AT 20:47

ये जो तुम अभी आयी,
अपना हाथ मेरे गाल पर रख मुझे जगाया,
आँसू भरे आँखों से एकटक मुझे निहारा,
मैं हकबकया से तुम्हें देखता ही रह गया।
जिससे बिछड़ जीवन मे फिर मिलन की उम्मीद भी न हो,
उसे अपने इतने समीप पा विश्वास करना मुश्किल हो रहा था।
फिर तुम बोली, ऐसे ही देखते रहोगे या गले भी लगाओगे
तुम्हें बाहों में इस कदर जकड़ लिया,
की फिर कोई कभी जुदा न कर पाए।
मेरे आलिंगन में भिंची हुई तुम,
किसी खोये हुए बच्चे सी चिपक गयी मुझसे।
'अभी भी पूरे पागल हो', बस इतना ही बोला तुमने।
लेकिन अब मैं सच में जग गया था,
तुम नहीं थी, पास थी सिर्फ मेरी तन्हाई।
आँख के कोने से एक बूँद आँसू के साथ,
चेहरे पर फैल गयी थी एक मुस्कान।

- आरिश