1 APR 2018 AT 10:12

अंदाज़-ए-गुफ्तगू से
ये जो तुमने फरेब का ताज़महल खड़ा किया है ना..
ये एक दिन ताश के पत्तों की तरह बिखर जायेगा..

- ©️स्पर्श