पेश कर रही है हाँ रोज इक मिसाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
रोपती है भाव तू एकता के मर्म का
ज्ञान के प्रकाश से प्रभात है तू कर्म का
लालिमा है सूर्य की, तीक्ष्ण सी है लाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
बढ़ रही है चढ़ रही तू ओर से है छोर तक
बात हो रही तेरी है शाम से हाँ भोर तक
वृक्ष बन रही है अब देख क्या विशाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
नित्य है नवीन तू, कार्य में प्रवीण तू
दक्ष है तू तर्क में, भाव में जहीन तू
सबको लेके चल रही क्या नाम है कमाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
रच रही तू बस रही, जन जन के गीत में
गा रहें हैं सब तुझे, हार में भी जीत में
माँ के जैसे लाड़ती, दुलारती है गाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
राजा हो या रंक हाँ सभी का थामे हाथ तू
साथ है सभी तेरे, चली सभी के साथ तू
भूखे की रोटी बनी, गरीब की है दाल तू
कर रही है हिन्दी अब काम बेमिसाल तू
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