निष्पाप कळ्यांना
सुगंध नवा होता.
चाहूल होती फुलण्याची,
तारुण्याला गाठण्याची.
दिवस तोही आला,
जगासमोर उमलण्याचा.
मात्र आनंद तो नाहीसा झाला,
निष्पापपणा तो हरवला.
सौंदर्य ते कुसुमाचे,
भ्रमरा मोहवू लागले.
तारुण्य ते कुसूमाचे
हरवू लागले.
कुसुमास त्या परत
स्वतः ला लपवू वाटले.
परत गेलेला निरागस पणा,
हवा हवासा वाटला.
सुगंध तो परत वेडा
आठवांमध्ये जागला.
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Somewhere from the depth of my heart 💓💓💓
हृदयाच्या लेखणीतून
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माझा राजा आकाश गंगे सम विशाल,
मावती ज्यात तेज सहस्त्र सुर्यांचे.
मन त्याचे विशालकाय महा सागरासारखे,
रयतेचा तो कैवारी.
सनातनाचा तो रक्षणकर्ता,
स्वराज्याचा तो धनी.
होती परस्त्री माते समान ज्यास,
ऐसा जिजाऊचा तो पुत्र.
धगधगती हृदय शत्रूचे ही,
असा शुर पराक्रमी माझा राजा होता.
मृत्यू ही कापला असेल ज्यास बघून,
मुघलांचा कर्दनकाळ माझा राजा होता.
प्रतापगड साक्ष त्या पराक्रमाचा,
अफजल खान कसा निर्जीव पडला होता.
ग्वाही दिली त्या लाल महालाने शाईस्ते खानाचा फाजितीची,
ओरखडलेला हात घेऊन कसा तो पळाला होता.
तलवारी नाचवल्या रणी,
मृत्यू ही त्याचा समोर ओशाळला होता.
गडकिल्ले सांगती कथा ज्याच्या,
ऐसा आभाळा सारखा माझा जाणता राजा होता.
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तुम लिखते रह गए प्रेम कहानियां,
वह खून से अपनी कहानी लिख गया।
तुम बाहें थामे रहे अपनी महबूबा की,
वह अपनी सरजमीं के लिए खून बहा आया।
तुम श्रृंगार करते रहे अपनी महबूब का,
वह अपने खून से भारत मां को सजा आया।
पला था जिस माटी में वह,
उस माटी को खून से सींच आया।
मोहब्बत क्या ही कर लोगे तुम,
वह जान देकर अपने इश्क को मुकम्मल कर आया।
तुम मनाते रह गए प्रेम दिवस,
वह तिरंगे में लिपटकर सदा के लिए अमर हो गया।
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फैला हुआ है सामान,
फैला हुआ है घर का वह कोना,
कही चादरों में सिलवटे पड़ी हुई,
तो इत्र की आधी शीशियां बिखरी हुई।
आइना वह गर्द भरा,
अक्स भी धुंधला सा,
कही लिबास है फैले हुये,
परछाइयां है कही खोई हुई ।
फैली हुई है खामोशियां,
तन्हाइयां कही बिखरी पड़ी।
कही जाम छलके हुए,
कही यादें है रुसवाइयों में लिपटी हुई।
फैले हुए खयाल,
इन बिखरे कागजों में।
स्याही है फैली हुई फर्श पर,
कदमों को चूमती हुई।
चेहरों का नूर कही खोया हुआ,
आंखों के मोती भी बिखरे पड़े।
नींद की आगोश में,
सोए है सपने सारे।
सपनों की दुनिया भी है बिखरी हुई,
आंखें यूं खुली है जैसे बिन आत्मा शरीर,
मायाजाल फैला हुआ है उलझनों का,
और यह मन कही बिखरा पड़ा है।-
The time will pass.
The dates will change.
The calendar will also change.
Intact will be the resolution.
To keep a munificent mind.
The urge to celebrate every single juncture.
To keep a jovial soul.
Years will pass.
Calendars will change.
Intact will be the resolution.
Our soul shall enter into new life each and every passing moment.
The moments will pass.
The second hand will move every second.
Intact will be the resolution.
To keep the soul ignited in the present moment.
The clocks will tick.
Revolution of Earth will complete.
Intact will be the resolution.
To keep thriving for the supreme knowledge each passing day.
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सरले वर्ष हेही,
जुन्या आठवणी आणि काही अपूर्ण संकल्पासह.
आठवांचा तो डोंगर फार जड,
पण नवीन अपेक्षांची चाहूल लावणारा.
तारीख ही पण बदलेल,
परत नवीन दिनदर्शिका चालू होईल.
आयुष्य पुन्हा नव्याने सुरू होईल,
होईल आठवांचा नवीन प्रपंच तो सारा.
सरतील वर्ष जुने,
चला मिटवू जुने रुसवे.
घेऊन येऊ नवीन तराणे,
जोडू नवीन दुवे नववर्षा संगे.-
कुरुक्षेत्र की भूमि पर जन्म हुआ तुम्हारा,
सभी वेदों का सारांश हो।
भाषा हो उपनिषदों की,
सारे योगों का ज्ञान हो।
धनंजय की चक्षु उन्मीलक हो तुम,
धर्म और कर्म का सम्मान हो।
वेद व्यास की प्रिय तुम,
साक्षात गोविंद की तुम वाणी हो।
कलयुग में जनमानस की पथप्रदर्शक तुम,
वास्तविकता का दर्शन हो।
हर सनातनी की प्रिय तुम,
तुम सबकी श्रीमद भगवद्गीता हो।
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नींद बहुत है इन आंखों में,
लेकिन यह गुस्ताख आंखें सोना नहीं चाहती।
ख्वाब है इन आंखों में,
बस इन्हे दुनिया को दिखाना नही चाहती।
ज़ुबान है इनकी भी लेकिन,
कई बार यह खामोश रह जाती है।
इन कमबख्त आंखों की गुस्ताखी तो देखो,
यह जिंदगी की हकीकत के साथ जीना नहीं चाहती।-
One more day passed,
Like a normal day passes.
As we grow older,
The ebullience of life goes away.
I am somebody with agony,
Living life like a zombie.
My soul is already burnt,
Leaving the corpse behind.-
ज्ञान बुद्धि के राजा,
तुम्हे शत शत नमन।
प्रज्ञता के अधिष्ठाता,
तुम्हे कोटि कोटि वंदन।
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