7 DEC 2017 AT 7:59

इश्क़ की आंच को लिहाफ़,
यादों को उनकी मफ़लर बना रखा है...
बस बेख़्याल ही तोड़ आए हम,
गुरुर महंगे मौसम का

- रचिता ...