इश्क़ की आंच को लिहाफ़, यादों को उनकी मफ़लर बना रखा है... बस बेख़्याल ही तोड़ आए हम, गुरुर महंगे मौसम का - रचिता ...
इश्क़ की आंच को लिहाफ़, यादों को उनकी मफ़लर बना रखा है... बस बेख़्याल ही तोड़ आए हम, गुरुर महंगे मौसम का
- रचिता ...