न रख पाना अगर एक फूल तो ये काम कर देना, लगा के होंठ काग़ज से हमारे नाम कर देना। -
न रख पाना अगर एक फूल तो ये काम कर देना, लगा के होंठ काग़ज से हमारे नाम कर देना।
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आँख का पानी क्या सूखा, लिखने की आदत छूट गईसूखती स्याही को देख कर कलम खुद ब खुद टूट गई। -
आँख का पानी क्या सूखा, लिखने की आदत छूट गईसूखती स्याही को देख कर कलम खुद ब खुद टूट गई।
मेरे ख्यालों मे तय हुआ था कि न कभी तू मुझे मिलेगा,यूँही कदम फिर बढ़ाए तूने, ये आज आखिर हुआ ही क्यूँ था! -
मेरे ख्यालों मे तय हुआ था कि न कभी तू मुझे मिलेगा,यूँही कदम फिर बढ़ाए तूने, ये आज आखिर हुआ ही क्यूँ था!
किसी के यूँही चले जाने पर अगर पीछे सौ चीजें छूट जाती हैं तो उनमे से सबसे प्रथम हैं - सवाल ! -
किसी के यूँही चले जाने पर अगर पीछे सौ चीजें छूट जाती हैं तो उनमे से सबसे प्रथम हैं - सवाल !
थोड़ा नशा सा था इस सफ़र में,बाकी जो थी, तेरी मौजूदगी थी। -
थोड़ा नशा सा था इस सफ़र में,बाकी जो थी, तेरी मौजूदगी थी।
निगाहों से ओझल कई किरदार होंगे,मुलाकातों के महज़ किस्से हज़ार होंगे,न होगा मुमकिन मिल पाना उन्हीं का,वैसे तो महफ़िल में नई, नए यार होंगे। -
निगाहों से ओझल कई किरदार होंगे,मुलाकातों के महज़ किस्से हज़ार होंगे,न होगा मुमकिन मिल पाना उन्हीं का,वैसे तो महफ़िल में नई, नए यार होंगे।
हैं इश्क़ में डूबे से हम, हम इश्क़ से रूठे भी हैंवो नाम सब मुस्कुरा दिए, कुछ इस कदर टूटे भी हैं। -
हैं इश्क़ में डूबे से हम, हम इश्क़ से रूठे भी हैंवो नाम सब मुस्कुरा दिए, कुछ इस कदर टूटे भी हैं।
सच कहें तो खुद से भी ज़्यादा बात नहीं होती,रहती है नाराज़गी ऐसी की बर्दाश्त नहीं होती। -
सच कहें तो खुद से भी ज़्यादा बात नहीं होती,रहती है नाराज़गी ऐसी की बर्दाश्त नहीं होती।
मैं कुछ और था तस्वीरों में, मेरी असलियत कुछ और थी।हूँ जो मैं अभी, वो वो न था, वो शख़्सियत कुछ और थी। -
मैं कुछ और था तस्वीरों में, मेरी असलियत कुछ और थी।हूँ जो मैं अभी, वो वो न था, वो शख़्सियत कुछ और थी।
बस यादों में है नशा ज़रा सा, बाकी सब फीका फीका है। -
बस यादों में है नशा ज़रा सा, बाकी सब फीका फीका है।