ये हमारा हौसला जो तुम यहाँ हो तोड़ते
हम यहाँ पर हौसलों से खुद ही खुद को जोड़ते।।

क्यों हमारा हाथ फैले औरो के सम्मुख यहाँ
पीने को पानी यहाँ हम खुद ही कूपें कोड़ते।।

बह जाएँ जलधार में हम तो कोई पत्ते नहीं
हम तो वो हैं जो यहाँ दरिया का मुख हैं मोड़ते

है समंदर एक वो औ' एक दरिया मैं यहाँ
एक दूजे की जरूरत कैसे उसको छोड़ते

'पुष्प' कैसे रहते हैं ये इंद्रधनुषी सात रंग
वो भला क्या जाने जो रंगों मे सबको फोड़ते।।

- पुष्प🌹