याद है वो रात जो चौदहवी की थी?तुम भी मेरे पास ही थी,माना ना तुम तनहा थे ना हम,मगर ये सांसें तो तुम पर ही अटकी थीं...तेरी वो खुली ज़ुल्फ़ें आज भी मुझे सताती हैं,वो चांदनी रात मुझे आज भी याद आती है... -
याद है वो रात जो चौदहवी की थी?तुम भी मेरे पास ही थी,माना ना तुम तनहा थे ना हम,मगर ये सांसें तो तुम पर ही अटकी थीं...तेरी वो खुली ज़ुल्फ़ें आज भी मुझे सताती हैं,वो चांदनी रात मुझे आज भी याद आती है...
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