"जज़्बातों का ऐतबार क्या करूँ?वो भी तुम्हारी तरह मेरे नहीं रहे"पुष्पंश उपाध्याय -
"जज़्बातों का ऐतबार क्या करूँ?वो भी तुम्हारी तरह मेरे नहीं रहे"पुष्पंश उपाध्याय
-