Pushpansh Upadhayay  
23 Followers · 5 Following

Joined 28 November 2017


Joined 28 November 2017
21 AUG 2022 AT 12:14

निकल पड़ा हूँ फिर अंधेरों को खोजते हुए,
जहाँ मेरा अक्स मुझे डराता नहीं,
जहाँ हर दिन एक रात है,
जहाँ सन्नाटे सिर्फ सुनते मेरी आवाज़ हैं,
जहाँ मेरे खयालात आज़ाद हैं,
जहाँ दर्द की नदी का विलय है,
निकल पड़ा हूँ फिर उन्हीं अँधेरों को खोजते हुए...

-


18 AUG 2022 AT 23:53

नहीं ये हकीकत है, सपना नहीं,
संभल जा ऐ दिल, वार्ना बर्बाद हो जाएगा...
जिन ज़ुल्फ़ों के बिखरने पर टिकी थी तेरी हर धड़कन,
अब वो किसी और का साया बने तुझे हर दिन जला रही हैं...
शामें बीत रही हैं रुस्वाई में,
की इतने बड़े शहर में क्या यही एक बदनाम मोहल्ला तेरे नसीब में था?
फैसला तेरा था तो ये ज़ख्म भी तेरे हिस्से का ही है,
और अब तो लेप लगाने वाला भी कोई नहीं है...

-


31 JUL 2022 AT 23:14

Kathghare mein khade the mere jazbaat, mera ye ishq,
Tune kayi daleel diye iske jhoote hone ke,
Maine bhi apni safai pesh ki, magar akhir mein hi thak gya,
Naa koi judge tha vaha mujhe sunne ko, tune bhi to ek diwaal khadi ki thi apne kaano mein...

-


27 JUL 2022 AT 1:02

आज वक़्त ही कम पड़ गया तुमसे बात करने के लिए,
जैसे दुआएँ आज भी पेड़ के तने से बंधी रह गयी...
इतना कुछ था बताने के लिए, इतना कुछ था जताने के लिए,
वक़्त को थाम लेने की मेरी ख्वाहिश आज भी वक़्त से साथ बह गयी...
मुझपर तरस भी ना खाये इन घडी के कांटो ने एक पल के लिए,
पल बीतता गया, मगर ये आँखें थी जो होठों को चुप किये बैठी रह गयी...
सांसें भी तेज़्ज़ चल रही थी, ये मन भी फड़फड़ा रहा था हल्का होने के लिए,
तुम्हारे हाथों को अपने हाथों में थामने की ये उम्मीदें भी प्यासी रह गयी...

-


3 JUL 2022 AT 13:47

जब सूरज कहीं पहाड़ों के पीछे छुप जाए, और अँधेरा दबे पैर आ जाए,
गुज़ारना कुछ वक़्त हमारे साथ भी इन जाने पहचाने रास्तों में, और थाम लेना हमारा हाथ कभी...
या सर्द हो जब हवाओं में, और ठिठुर रहे हो हालात भी,
तुम देना अपने बाहों की गर्मी मुझे, की मिट जाएँ सारे शिकवे गिले...
या तप रहा हो चाँद भी, और रास्तों में बेचैनी की धूल उड़े,
मेरी तरफ बस तकना एक बार, और मुस्कुरा कर देना सुकून मुझे...

-


23 JUN 2022 AT 17:18

Rehna hai kuch aur pal yaha, roz to jaldi chala jaata hoon,
Tum bhi rokte nahi magar tumhaare dil ki naakhushi ko aksar padh leta hoon...

Tum aaina ho mera aur main nazar tumhaari,
Jab hum saath hote hain khubsoorat hoti hai ye duniya humaari...

-


11 JUN 2022 AT 12:56

अब बस रुक जाना चाहिए मुझे,
अब बस संभल जाना चाहिए मुझे...
मैंने जो सजाई थी ये दुनिया हमारे लिए,
इसे रुखसत कर अलविदा कह देना चाहिए मुझे...

मगर तबाही तो हो गयी, और तबाह भी मैं हुआ,
हर्ज़ाना तुम्हे मिला, निकम्मा मैं हुआ,
अश्क मेरे भी फूटे, अश्क़ तुम्हारे भी,
तुम्हारे लिए सारा शहर जुत गया, और बदनाम मैं हुआ...

-


29 MAY 2022 AT 16:17

फिर ज़बरदस्त कोशिश की थी उनसे नज़र हटाने की मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
फिर आज कोशिश की थी की उनकी जुल्फों के खुलने से पहले, हम मदहोश हो जाएँ मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
थाम लिया था जिस मंज़र को हमने, उसके छत पे आने पर,
आज फिर उसे भी रुसवा कर चले आये...
चाहा तो बोहोत की उनके मुस्कुराते ही सब कुछ बयान कर दें मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
शबनमी रात है, शायद वो साथ हों मेरे और मैं उनका हाथ थामे उन्हें देखता रहूँ मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
हम तो अनजान थे, शायद उनको ही खबर हो की हमारे अकेलेपन के बस वही साथी हैं मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
ज़्यादा नहीं बस थोड़ी इज़्ज़त, थोड़ी वफ़ा उन्हें चाहने के बदले में मांगी थी, मगर,
आज फिर रुस्वा हो कर चले आये...
वो अब हमारे नहीं हैं, ये ढिंढ़ोरा सर-इ-आम बजा दिया, हमने रोका उन्हें मगर,
आज उन्हें किसी और के साथ झूमते देख, रुस्वा हो कर चले आये....

-


16 MAY 2022 AT 3:40

शाम होते ही तुम चले जाते हो,
कोई दर्द है जो अँधेरे में छुपा नहीं पाते हो?
या सजा देते हो मुझे अकेलेपन का?
या खुद अकेलेपन से इश्क़ कर बैठे हो?
या ढूंढ लिया है दोस्त कोई नया?
या गुमसुम गुपचुप अकेले रहना चाहते हो?

दबे पाँव ही सही, आओ कभी मिलने हमसे,
की शाम तुमसे नाराज़ हो तो मनाऊंगा उसे मै भी,
कोई दर्द हो, आओ इस अँधेरे में हर दर्द को भुलाते हैं,
अँधेरे से इश्क़ कर, अँधेरे को दीवाना बनाते हैं....

-


14 APR 2022 AT 22:18

ज़्यादा दलीलें ना दिया कर उसके लिए ऐ दिल,
चोट तूने भी भरपूर खाये हैं,
उसके पास तो मल्हम के साथ लगाने वाले भी थे,
तेरे पास तो सिर्फ जख्म कुरेदने वाले ही बैठेंगे...

वो मसरूफ है, उसकी ग़ुज़ारिश भी तेरी कमज़ोरी है,
की खुद को हौंसला दे, खुद ही का मसीहा बन ऐ दिल,
क्यूंकि जब तू दर्द के रास्तों से गुज़र रहा होगा,
वो हस्ता खड़ा होगा उनमें से किसी गली में...

-


Fetching Pushpansh Upadhayay Quotes