तकाजा-ए-वक़्त था क्या कहूं थोड़ी तगलूफ भी थी
पर एक उम्र से है लज्जत अब तेरी नज़र के लिए
और किस कदर जरूरी है तू मुझे क्या कहूं
नर-ए-आफ़तब जैसे लाजमी है सहर के लिए !
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PUSHKAR SINHA
(पुष्कर सिन्हा)
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Joined 19 December 2017
26 JUL 2020 AT 11:09
19 JUL 2020 AT 6:56
हिम्मत कर, सब्र कर, बिखर कर भी संवर जाएगा
यकीन कर, शुक्र कर, वक़्त ही तो है गुजर जाएगा !-
14 JUN 2020 AT 17:12
गुनगुना लेना चाहिए दोस्तों के साथ हर पल
क्या पता ज़िन्दगी मौका दे ना दे !-
9 JUN 2020 AT 22:26
बाद-ए-वस्ल तुझसे तन्हाई पोशीदा-ए -बेखुदी में गुजरी है
एक मुद्दत ऐ जिंदगी, तेरी हिज्र-ए-सादगी में गुजरी है
और किस कदर हो गया मै संजीदा बाद-ए-इश्क़ क्या कहूं
क्या कहूं ये जिंदगी किस आवारगी में गुजरी है !-
6 JUN 2020 AT 22:23
मै जानता हूं कि कुछ नहीं रहा तेरे मेरे दरमियान
पर सच पूछो तो ये दिल इसकी गवाही नहीं देता !-
1 JUN 2020 AT 16:37
यही दुनिया-ए-उल्फत में हुआ करता है होने दो
तुम्हे हंसना मुबारक हो, कोई रोता है रोने दो !
कसम ले लो जो सिकवा हो तुम्हारी बेवफ़ाई का
किये को अपने रोता हूं, मुझे जी भर के रोने दो !!-
31 MAY 2020 AT 13:18
ख़र्च कर दिया ख़ुद को तुझको संजोने में
अब जो मुझमें है वो मेरा नहीं है !-