वो मंजर याद आता है
जब तू मेरे करीब आता है
वो प्यार से तेरा मेरी और देखना
कभी सिसकते होठों को छूना
तो कभी झील सी आँखों में देखना
वो पेड़ की छाँव में
मेरे आँचल के साए में सोना
वो मेरी जुल्फों को सवाँरना
कभी प्यार से मुझे बाँहों में भरना
और अपने सीने से लगाना
फूलो सा महकना
वो प्यार में हद से गुजरना
मेरी तकलीफ़ो को समझना
कभी दुखी हो जाऊ तो हँसाना
मेरे हर दुःख को अपनाना
अगर रुठ जाऊ तो मुझे मनाना
पूर्वा..
- Purvai