28 JUL 2017 AT 14:12

टूटकर बिखरना,
बिखरकर के फिर
संवरना,शीशा नहीं
हूँ मैं कोई,आता है
मुझे भी,काँटों में
गुलाब-सा खिलना,
महकना,,,purnima

- Jaahnashien