टूटकर बिखरना,बिखरकर के फिरसंवरना,शीशा नहींहूँ मैं कोई,आता है मुझे भी,काँटों में गुलाब-सा खिलना,महकना,,,purnima - Jaahnashien
टूटकर बिखरना,बिखरकर के फिरसंवरना,शीशा नहींहूँ मैं कोई,आता है मुझे भी,काँटों में गुलाब-सा खिलना,महकना,,,purnima
- Jaahnashien