पत्थर बन गया है मोम-सादिल,सितमगर तेरे सितम अब कहर बनकर,हमें कहाँडरा पाते हैं,कई बार समंदरछलके नयनों से मगर अब,सागर भी सूखे रूके नज़र आते हैं,तरसते रहे जिसगुलशन के लिए फूल दिलके,उजड़े वीराने वहाँ नज़रआते हैं,,,purnima - Jaahnashien
पत्थर बन गया है मोम-सादिल,सितमगर तेरे सितम अब कहर बनकर,हमें कहाँडरा पाते हैं,कई बार समंदरछलके नयनों से मगर अब,सागर भी सूखे रूके नज़र आते हैं,तरसते रहे जिसगुलशन के लिए फूल दिलके,उजड़े वीराने वहाँ नज़रआते हैं,,,purnima
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