16 APR 2018 AT 13:03

क्या कहूँ और कैसे कहूँ,तुझसे ही
तो शुरू हुई मेरी कहानी है,
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चल रही थी तन्हा-तन्हा,हर मोड़
पर उलझने थी कई जैसे,
गज़ब जिन्दगी की अजब कहानी है,
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सर्द हुए थे अहसास,गाफिल-सा
था हर मंज़र,मंजिलों की चाहत ना थी,
अश्कों से लिखी थी हर दास्तां,
सोच रही थी कैसी ये जिन्दगानी है,
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दिल पर दस्तक हुई हौले से,मन कोपलें
खिलने लगी,हाँ अब शुरू हुई शायद बहारें,
नया मौसम नई कहानी है,
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कलम से फिसले अरमान और स्याही
रंगीन हुई,हाँ चाँद निकला बदली से
मुद्तों में,ईद हुई...वक्त की मेहरबानी है,,,Copyright by Purnima
Chhabra Jain@2017
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- Jaahnashien